विपत्ति में ही मनुष्य का सहारा उसकी सजीव मानवता है,
वरना समृद्धि का चमक अक्सर सच्चाई को छुपा देती है।
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संकट में ही प्रकट होती है व्यक्ति की असली ताकत,
वरना सुख-समृद्धि तो अक्सर मनुष्य को भूल में ले जाती है।
दुःख में ही सामने आती है आत्मा की अद्वितीयता,
वरना सुख की छाया अक्सर सच्चाई को धुंधला देती है।