विश्वासघात की राख

बेवफ़ाई की रातों में जलता है ये दिल,
प्यार के अफ़सानों का रूह-ब-रूह मिल।
तन्हाई में बसती है एक अजनबी सांस,
ज़हर की तरह छिड़क रही है मेरे इश्क़ की वादियों में आंस।

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